राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज - प्रथाएं । राजस्थान की प्रथाएं
राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज - प्रथाएं । राजस्थान की प्रथाएं
जानिये राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज - प्रथाएं and राजस्थान की प्रथाएं के बारे में।
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राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज & प्रथाएं
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हमारी ये पोस्ट Rajasthan GK की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है जो की BSTC, RAJ. POLICE, PATWARI. REET, SSC GK, SI, HIGH COURT, 2nd grade, 1st grade पटवारी राजस्थान पुलिस और RPSC में पूछा जाता है |
राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज & प्रथाएं |
(1) सती प्रथा (सती प्रथा का अंत/अन्त किसने किया?) :---
Q.सती प्रथा क्या है?
* मृृत पति के साथ जिन्दा पत्नी को जलाना सती प्रथा है |Q.राजस्थान में सती प्रथा पर रोक कब लगी?
* सती प्रथा में सर्वप्रथम 1822 में बूंदी रियासत ने रोक लगाई |
Q.सती प्रथा का अंत किस गवर्नर ने किया?
* 1829 में राजा राममोहन राय सती प्रथा के प्रयासों से गवर्नर विलियम बेंटिग ने कानून बनाकर सम्पूर्ण भारत में रोक लगा दी |
* 1829 में राजा राममोहन राय सती प्रथा के प्रयासों से गवर्नर विलियम बेंटिग ने कानून बनाकर सम्पूर्ण भारत में रोक लगा दी |
Q . सती प्रथा निषेध अधिनियम कब पास हुआ?
* राजस्थान में अंतिम सती 4 sept 1987 को सीकर जिले की दिवराला गांव की रूपकंवर हुई जिनके पति का नाम श्रीमालसिंह शेखावत था |
* 1987 में राजस्थान सरकार ने कानून बनाकर सती के मेले और महिमा मण्डन पर रोक लगा दी |
* इस प्रथा 1853 में मेवाड़ भील कोर ने रोक लगाई |
* सामंती प्रथा के समाप्त होते ही इस प्रथा पर रोक लगा गयी |
* डावरिया प्रथा राजस्थान में प्रचलित पुरानी प्रथाओं में से एक थी। दहेज में दी गयी दासी को डावरी व छोरी कहते थे |
(2) डायन ( डाकण ) प्रथा :---
* किसी औरत में प्रेत आत्मा प्रवेश क्र गयी है और वह छोटे बच्चो का भक्ष लेती है|उसके देखने भर से लोगो की मृत्यु हो जाती है | ऐसा झूठा आरोप लगाकर उस औरत को मर दिया जाता था यही डायन प्रथा है |* इस प्रथा 1853 में मेवाड़ भील कोर ने रोक लगाई |
(3) बेगार प्रथा :---
* सामंती काल / जागीरदारी काल में प्रजा जनो से मुक्त में काम करवाया जाता था कोई वेतन नहीं दिया जाता था | यही बेगार प्रथा है |* सामंती प्रथा के समाप्त होते ही इस प्रथा पर रोक लगा गयी |
(4) डावरिया प्रथा (डावरिया प्रथा क्या है?) :---
* सामंती काल में राजकुमारी के विवाह के समय कुछ दासियाँ को दहेज में जाती थी |डावरिया प्रथा में राजा-महाराजा और जागीरदार अपनी पुत्री के विवाह में दहेज के साथ कुँवारी कन्याएं भी देते थे, जो उम्र भर उसकी सेवा में रहती थी। इन्हें 'डावरिया' कहा जाता था।* डावरिया प्रथा राजस्थान में प्रचलित पुरानी प्रथाओं में से एक थी। दहेज में दी गयी दासी को डावरी व छोरी कहते थे |
(5) त्याग प्रथा :---
* राज परिवारो में विवाह के समय कुछ विद्वान लोगो को दक्षिणा दी जाती थी लेकिन वह उसे स्वीकार नहीं करते थे और हठ / जिद करके अधिक दक्षिणा प्राप्त करते थे |* वाल्टर ने " राजपूत हितकारिणी सभा " बना करके 1841-42 में रोक लगायी |
(6) विधवा विवाह :---
* 1856 में " ईश्वर चंद्र विधासागर के प्रयासों से इस प्रथा को मंजूरी मिली |राजस्थान की प्रथाएं |
(7) दास प्रथा :---
* प्राचीन काल में सामंती परिवार द्वारा महिला और पुरुषो को खरीद करके उन्हें आजीवन गुलाम बनाकर रखा जाता था | जिन्हे गोला या चाकर कहते थे |* इस प्रथा पर 1832 में कोटा - बूंदी रियासत ने रोक लगाई |
* अगर विकल्प में कोटा -बूंदी नहीं है तो जयपुर को सही उत्तर मना जायेगा |
(8) संथारा प्रथा :---
* जैन धर्म के लोगो द्वारा अन्न - जल त्यागकर इच्छा मृत्यु का वर्ण करना संथारा है |* इस प्रथा पर S C ने रोक लगाई लेकिन जैनो के विश्व व्यापी आंदोलन के कारण रोक हटानी पड़ी |
(9) समांधी प्रथा :---
* जल या मिटी में डूबकर साधु - सन्यासियो द्वारा इच्छा मृत्यु का वर्ण करना समांधी प्रथा है |* इस प्रथा पर 1861 में जयपुर ने रोक लगाई |
(10) रियाण :---
* मारवाड़ क्षेत्र में मेहमानो के आगमन पर अफीम का न पानी हथेली में लेकर मेहमान के होठो पर लगाकर पिलाया जाता है |(11) सागड़ी ( हाली ) प्रथा :---
*प्राचीन काल में सेठ / साहूकारों से पैसो उधार लेने के बदले परिवार के किसी सदस्य को गिरवी रखना पड़ता था |* गिरवी रखे गये व्यक्ति का कोई वेतन नहीं दिया जाता था बल्कि रकम का ब्याज लिया जाता था |
* सागड़ी उन्मुलन अधिनियम बनाकर 1961 में इसे प्रथा पर रोक लगाई गयी |
(12) बाल विवाह :---
* बल विवाह सर्वाधिक आखातीज / अक्षय तृतीया को होते है |* अजमेर के सामाजिक कार्यकर्ता हर विलास शारदा के प्रयासों का से 1929 में इस प्रथा में रोक लगाई गयी |
* इस प्रथा को रोकने वाला कानून शारदा एक्ट है |
बल विवाह-राजस्थान की प्रथाएं |
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