राजस्थान का एकीकरण || Rajasthan ka ekikaran

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भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की धारा 8 के अनुसार भारत की स्वतंत्रता के साथ ही समस्त देशी रियासतों पर से ब्रिटिश सरकार की सर्वोच्चता समाप्त हो गयी तथा यह सर्वोच्चता पुनः देशी रियासतों को हस्तांतरित कर दी गयी।


देशी रियासतों को अपनी इच्छानुसार भारत अथवा पाकिस्तान में से किसी में सम्मिलित होने अथवा पृथक अस्तित्व बनाये रखने की स्वतंत्रता दी गयी।


स्वतंत्रता के समय राजस्थान में 19 रियासतें, 3. ठिकाने और एक चीफ कमीरनरी प्रदेश (अजमेर - मेवाड़ा) थे -


5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल (लौह पुरुष) के नेतृत्व में रियासती विभाग का गठन किया गया तथा V.P. मेनन को इसका सलाहाकार व सचिव नियुक्त किया गया।


वायसराय मांउट बेंटन ने रियासतों के विलय हेतु दो प्रकार के प्रपत्र तैयार किये, जो निम्न है -


1. इन्स्ट्रूमेण्ट ऑफ एक्सेशन :- इसके माध्यम से कोई भी राजा इस प्रपत्र पर हस्ताक्षर कर भारतीय संघ


में शामिल हो सकता था।


2. स्टैण्डस्टिल एग्रीमेण्ट :- यह एक प्रकार से यथा स्थिति के लिए सहमति पत्र था।


25 जुलाई 1947 को वायसराय (बेंटन) ने नरेन्द्र मण्डल का एक अधिवेशन बुलाया।


15 अगस्त 1947 के पश्चात् सिर्फ जूनागढ़ हैदराबाद एवं कश्मीर के राज्य तथा पुर्तगाली एवं फ्रांसीसी उपनिवेशों का भारत में सम्मिलित होना शेष था। बाकी सभी रियासतों ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।


7 अगस्त 1947 को महाराजा सार्दुलसिंह ने सम्मिलित पत्र (इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन) पर हस्तासन कर दिये।


14 अगस्त 1947 को धौलपुर नरेश उदयभानसिंह ने मिलाप पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अंतिम शासक


रियासती विभाग के प्रमुख सरदार वल्लभभाई पटेल ने यह घोषणा की कि स्वतंत्र भारत में वे रियासते अपना पृथक अस्तित्व बनाए रख सकेगी, जिनकी जनसंख्या 10 लाख और वार्षिक आय - करोड रुपये हो।


संघ बनाने का प्रयास :-


राजस्थान की रियासतों को एक संघ के रूप में संगठित करने का कार्य सर्वप्रथम कोटा महारावल भीमसिंह ने किया था।


राजस्थान यूनियन :- मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह ने गुजरात + राजस्थान + मालवा क्षेत्र के क्षेत्रों को मिलाकर एक बडा संघ (यूनियन) बनाने के उद्देश्य से 25-26 जून 1946 को उदयपुर में राजाओं का सम्मेलन आयोजित किया।


भूपालसिंह ने मुंशी को अपना सवैधानिक सलाहाकार नियुक्त किया था।


कोटा महाराव भीमसिंह ने हाडौती संघ बनाने का प्रयास किया |


डूंगरपुर महारावल लक्ष्मणसिंह द्वारा बांगड संघ बनाने का प्रयास किया 


रियासतों का एकीकरण I


7 चरणों में सम्पन्न


→ 1948 से लेकर 1956 तक


→ 19 रियासत +  3ठिकाने + 2 चीफ कमीश्नरी क्षेत्र का विलय



राजस्थान की 19 रियासतों के नाम एवं राजस्थान एकीकरण के समय शासक



रियासत शासक
अलवर तेजसिंह
भरतपुर बृजेन्द्र सिंह
धौलपुरउदयभानसिंह
करौलीगणेशपालसिंह
किशनगढ़सुमेर सिंह
टोंकशाहदत अली
बूंदी
बहादुर सिंह
कोटाभीमसिंह
उदयपुर भूपालसिंह
जैसलमेर जवाहरसिंह
बीकानेरसार्दुल सिंह
जयपुरमानसिंह-2
जोधपुरहनुवंत सिंह
शाहपुरासुदर्शन सिंह
झालावाड़ हरिशचंद्र बहादुर
बाँसवाडाचन्द्रवीर सिंह
डूंगरपुरलक्ष्मणसिंह
प्रतापगढ़रामसिंह
सिरोहीअभयसिंह देवड़ा



राजस्थान एकीकरण के समय तीन  ठिकानो  के नाम  एवम  शासक 


नीमराणा ठिकाना - राजेन्द्र सिंह

कुशलगढ़ ठिकाना - हरेन्द्र सिंह

लावा ठिकाना -  वंश प्रदीप सिंह



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राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन् 1948 से आरंभ होकर सन् 1956 तक सात चरणों में सम्पन्न हुई।

तत्कालीन राजपूताना की 19 रियासतों एवं तीन चीफशिप (ठिकानों) वाले क्षेत्रों को 7 चरणों में एकीकृत कर 30 मार्च 1949 को राजस्थान का गठन किया गया। राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन या 3144 दिन लगे।


राजस्थान के एकीकरण के चरण :-



राजस्थान के एकीकरण का प्रथम चरण - मत्स्य संघ - 18 मार्च 1948



मत्स्य संघ का क्षेत्रफल 2000 वर्ग km, जनसंख्या 18 लाख (लगभग) एवं वार्षिक आय 1.84 करोड़ रुपये थी।


प्रमुख महारावल :-


अलवर - तेजसिंह


भरतपुर- बृजेन्द्र सिंह


धौलपुर - उदयभान सिंह


करौली - गणेशपाल सिंह


नीमराणा - राजेन्द्र सिंह



एकीकरण में बाधा 



अलवर व भरतपुर में मेव जाति द्वारा आतंक फैलाया जाना।


30 जनवरी 1948 को गांधीजी की हत्या में अलवर नरेश तेजसिंह और उनके प्रधानमंत्री एन बी. खरे का हाथ होने का भी संदेह किया गया।


इन चारो शासको को दिल्ली आमंत्रित किया गया।


28 फरवरी को इन शासकों द्वारा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये।


k.m.मुंशी की सलाह पर इसका नाम मत्स्य संघ रखा गया


अलवर, भरतपुर, धौलपुर व करौली सहित 4 रियासत व ठिकाने नीमराणा को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया गया ।


इसका उद्घाटन एन. वी. गाडविल द्वारा लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर) में किया गया।



राजधानी- अलवर 


राजप्रमुख - उदयभानसिंह (धौलपुर) 


उपराजप्रमुख - गणेश पाल (करौली)


प्रधानमंत्री - शोभाराम कुमावत (अलवर

प्रजामंडल के प्रमुख नेता)


मंत्रीमण्डल :-


गोपीलाल यादव, जुगल किशोर (भरतपुर)

चतुर्वेदी मंगलसिह(धौलपुर) 

भोलानाथ (अलवर)

चिरजीलाल शर्मा ( करौली)




राजस्थान के एकीकरण का द्वितीय चरण - राजस्थान संघ - 25 मार्च 1948

@



राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 16807 वर्ग km, जनसंख्या 23.5 लाख एवं वार्षिक आय 1.90 करोड़ रुपये (लगभग।


सम्मिलित रियासतें :- (9+1)


किशनगढ़ सुमेर सिंह


टोंक - शाहदत अली


बूंदी बहादुर सिंह


कोटा भीमसिंह


शाहपुरा- सुदर्शन सिंह


झालावाड़ हरिशचंद्र बहादुर


 बाँसवाडा - चन्द्रवीर सिंह + कुशलगढ़ ठिकाना (हरेन्द्र सिंह) ]


डूंगरपुर लक्ष्मणसिंह


प्रतापगढ़ रामसिंह


बाँसवाड़ा महारावल चन्द्रवीरसिंह ने विलयपत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि 'मै अपने डेथ वांरट पर कर रहा हूँ।


उद्घाटन - कोटा के दरबार हॉल में एन. वी. गाडविल द्वारा।


राजप्रमुख महाराव भीमसिंह (कोटा) 


उपराजप्रमुख→ महाराजा बहादुरसिंह (बूदी)


प्रधानमंत्री गोकुल लाल असावा


राजधानी - कोटा




राजस्थान के एकीकरण का तृतीय चरण - संयुक्त राजस्थान - 18 अप्रैल 1948



द्वितीय चरण ( पूर्व राजस्थान संघ ) + उदयपुर तृतीय चरण ( संयुक्त राजस्थान )



 तृतीय चरण  (10+2) संयुक्त राजस्थान- 18 अप्रैल 1948


प्रमुख शर्त :- मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह द्वारा। 


1.मेवाड़ के महाराणा को आजीवन वंशानुगत राजप्रमुख बनाया जाए।


2. महाराणा को २० लाख रुपये वार्षिक प्रिवीपर्स दिया जाए।

 

3.उदयपुर को संयुक्त राजस्थान संघ की राजधानी बनाया जाए।


भूपालसिंह की तीन शर्तों को मान लिया गया।

महाराणा को 10 लाख रुपये वार्षिक प्रिवीपर्स, 5 लाख प्रिवीपर्स मेवाड के राजवंश की परंपरा के अनुसार धार्मिक कार्यों व 5 लाख रुपये राजप्रमुख पद के भत्तों के रूप में दिया गया।


संयुक्त राजस्थान की वार्षिक आय 3.16 करोड रुपये थी।


उदयपुर शासक - भूपालसिंह


उद्घाटन - प. जवाहर लाल नेहरू


राजप्रमुख - भूपालसिंह


उपराजप्रमुख भीमसिंह (कोटा)


राजधानी - उदयपुर


प्रधानमंत्री माणिक्यलाल वर्मा


मंत्रिमण्डल:


उदयपुर  प्रेमनारायण माथुर, भूरेलाल बयाँ, मोहनलाल सुखाडिया


शाहपुरा - गोकुल लाल असावा


डूंगरपुर - भोगीलाल पण्ड्‌य


कोटा अभिन्न हरि -


बूंदी ब्रजसुन्दर शर्मा


इस मंत्रिमंडल ने 11 माह तक कार्यरत रहा।


यह मंत्रिमंडल पूर्णतया प्रजामण्डलों के प्रतिनिधियों से गठित था।




राजस्थान के एकीकरण का चतुर्थ चरण - वृहत् राजस्थान - 30 मार्च 1949


तृतीय चरण ( संयुक्त राजस्थान ) + JJJB ( जैसलमेर + जयपुर + जोधपुर + बीकानेर ) चतुर्थ चरण


( वृहत राजस्थान )


मई 1948 को सिरोही का प्रबंध बम्बई प्रेसीडेन्सी को सौपा गया, जबकि जैसलमेर का प्रशासन भारत सरकार अपने हाथों में ले लिया।


समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में 'राजस्थान आंदोलन समिति' का गठन किया।


राममनोहर लोहिया ने अपने एक मांग पत्र में मांगकी कि जयपुर, बीकानेर, जैसलमेर और मत्स्य संघ (प्रदेश) को संयुक्त राजस्थान में मिलाकर वृहत् राजस्थान के रूप में एक इकाई का निर्माण किया जाना चाहिए


14 जनवरी 1949 को सरदार पटेल ने उदयपुर में आम सभा में घोषणा की कि जोधपुर, जयपुर और बीकानेर के नरेशों ने पूर्णतः अपने राज्यों के विलय को स्वीकार कर लिया है।


जयपुर व जोधपुर में राजधानी विवाद :- - 


सरदार पटेल द्वारा समिति का गठन किया गया। 


समिति के सदस्य - 

बी. आर पटेल 

एच. सी पुरी 

एच. पी. सिन्हा


इस समिति द्वारा जयपुर को राजधानी बनाने का सुझाव दिया।


संयुक्त राजस्थान(10+1) + जयपुर + जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर 

+

लावा (ठिकाना) (4+1) = 14+2


संयुक्त राजस्थान में जयपुर, जोधपुर बीकानेर एवं जैसलमेर का 30 मार्च 1949 को विलय कर भारत के उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल द्वारा जयपुर (सिटी पैलेस) में उद्घाटन किया गया।


30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप मे मनाये जाने का निर्णय लिया गया।


महाराजप्रमुख भूपालसिंह 


राजप्रमुख → मानसिंह-


उपराजप्रमुख भीमसिंह


प्रधानमंत्री हीरालाल शास्त्री


मंत्रिमंडल


सिद्धराज ढड्‌ढा ( जयपुर )


प्रेमनारायण माधुर (उदयपुर), भूरेलाल बया (उदयपुर)


वेदपाल त्यागी (कोटा)


 रघुवर दयाल गोयल (बीकानेर)


फूलचन्द बापना, नरसिंह कहावाहा, राजा हनुवत सिंह (जोधपुर)



19 जुलाई 1948 को केन्द्रीय सरकार के आदेश पर लावा ठिकाने को जयपुर राज्य में सम्मिलित कर लिया गया।


राजधानी के रूप में जयपुर (पी. सत्यनारायण राव कमेटी की सिफारिश पर


विभागीय बटवारा :-


हाइकोर्ट - जोधपुर में


शिक्षा विभाग बीकानेर में


खनिज व कस्टम व एक्साइज - उदयपुर बन व सहकारी विभाग - कोटा कृषि विभाग - भरतपुर


 शासक


जैसलमेर - जवाहरसिंह


बीकानेर- सार्दुल सिंह


जयपुर - मानसिंह-ll


जोधपुर - राव राजा हनुवंत सिंह


लावा वंश प्रदीप सिंह




राजस्थान के एकीकरण का पंचम चरण - संयुक्त वृहत् राजस्थान - 15 मई 1949

चतुर्थ चरण ( वृहत राजस्थान ) + प्रथम चरण ( मत्स्य संघ ) पंचम चरण ( संयुक्त वृहत राजस्थान )


अलवर और करौली के शासकों ने राजस्थान मे विलय के लिए सहमत हुए तथा भरतपुर व धौलपुर के शासक राजस्थान में विलय के लिए सहमत नहीं हुए।




वृहत राजस्थान + मत्स्य संघ + संयुक्त वृहत् राजस्थान

(14+2) (4+1) (18+3)


भरतपुर और धौलपुर की जनता की राय जानने के लिए 'शंकरराव देव समिति' गठित की गई। 



सदस्य -1. आर. के. सिद्धावा

2.  प्रभुदयाल


 समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यहाँ की जनता राजस्थान में मिलना चाहती है।


भारत सरकार ने शंकरराव देव समिति की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए मत्स्य संघ को को वृहत्

राजस्थान में विलय कर दिया गया।




राजस्थान के एकीकरण का षष्ठम चरण - राजस्थान संघ - 26 जनवरी 1950

पंचम चरण ( संयुक्त वृहत राजस्थान ) + सिरोही ( मा. आबू + देलवाड़ा को छोड़कर ) षष्ठम चरण (राजस्थान संघ )



26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान लागू होने पर राजपूताना के इस भू-भाग को विधिवत् 'राजस्थान' नाम दिया।


आबू व देलवाड़ा शहित 89 गाँव बॉम्बे में मिलाये गये तथा शेष सिरोही राजस्थान में मिलाया गया। इसमें गोकुल भाई भट्ट का गाँव हाथल भी शामिल था।


इस अनुचित विलय पर बल्लभ भाई पटेल का जबाव था " राजस्थान वालो को गोकुल भाई भट्ट चाहिये था वो हमने दे दिया"


हमारे प्रदेश का नाम राजस्थान रखा गया।


हीरालाल शास्त्री को राजस्थान का पहला मनोनित मुख्यमंत्री बनाया गया।




राजस्थान के एकीकरण का सप्तम चरण - पुनर्गठित राजस्थान- 1 नवम्बर 1956

षष्ठम चरण (राजस्थान संघ ) + मा. आबू + देलवाड़ा सप्तम चरण ( राजस्थान )


भाषायी आयोग (फजल अली आयोग की सिफारिश पर निम्न परिवर्तन :-


1  मा. आबू व देलवाड़ा, अजमेर-मेखाड़ा, सुनेल टप्पा (मध्यप्रदेश) का राजस्थान में विलय ।


2. राजस्थान के झालावाड़ क्षेत्र का सिरोंज क्षेत्र का मध्य प्रदेश में विलय ।


राज्य पुनर्गठन आयोग (भाषायी आयोग) 



22 दिसम्बर 1953 में गठित



भाषायी कारणों को सुलझाने हेतु गठित





अध्यक्ष फाजल अली



सदस्य 

1) हृदयनाथ कुंजरू

2) सरदार पन्निकर



इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट सितम्बर, 1955 को भारत सरकार को सौंपी गई।



इस रिपोर्ट के आधार पर संसद ने नवम्बर 1956 में " राज्य पुनर्गठन अधिनियम " का गठन।



इस अधिनियम द्वारा 



1)राज्यों का श्रेणीगत अंतर समाप्त।



2)राजप्रमुख का पद समाप्त



भारत में दो श्रेणी के राज्य रहे।



राज्य - 14



केन्द्रशासित प्रदेश- 6




राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के आधार पर :-


आबू व देलवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया।


अजमेर-मेरवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया।


मध्य प्रदेश का सुनेलटप्पा राज में मिलाया गया।


तथा राजस्थान का, सिरोज मध्य प्रदेश को दिया गया।


Rajasthan ka ekikaran 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान का एकीकरण पूरा हुआ और 1 NOV को Rajasthan sthapna diwas मनाया जाता है।


इस समय मुख्यमंत्री-सोहनलाल सुखाप्रिया ।


7वें संविधान संशोधन 1956 के द्वारा राज प्रमुख का

पद समाप्त कर दिया गया।

राजस्थान के प्रथम राज्यपाल सरदार गुरुगुख निहाल सिंह


26वें संविधान संशोधन 1971 द्वारा राजाओं के प्रिवीपर्स बंद कर दिये गये।


अजमेर मेवाड़ा:-


यह पहले केन्द्र शासित प्रदेश था। यहाँ पर 30 सदस्यों की धारा सभा थी। इसके मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे।


हरिभाऊ उपाध्याय ने अजमेर-मेरवादा के विलय का विरोध किया था।


जयपुर व अजमेर में राजधानी को लेकर विवाद हो गया उसके समाधान के लिये समिती का गठन किया गया समीति ने जयपुर को राजधानी बनाने की सिफारीश की 


समिति के सदस्य


(1) सत्यनारायण राव 

(2) वी. विश्वनाथन

(3)  बी. के गुप्ता


अजमेर को 26 नौ जिला बनाया गया।


राजस्व विभाग अजमेर को दिया।


आपू व देलवाश को राजस्थान में मिलाने के लिये मुनि जिन विजय सूरी समिति बनाई गई।


इतिहासकार दशरथ शर्मा भी इस समिती सदस्य थे |


महत्वपूर्ण पुस्तकें


1) फ्रीडम एट मिडनाइट थैरी कॉलिन्स +डोमनिक लेपियर


2) द लास्ट डेज ऑफ ब्रिटिश राज- लियोनार्ड मोजले


3) एक्सेसन टू एक्सटिम्सन डी. आर. मानकेकर


4) ट्रांसफर ऑफ पॉवर जेड ब्रिटिश मुद्रणालय


5) The story of the Integration of Indian States - V. P. मेनन


Rajasthan ka ekikaran quiz 


Q 1. Rajasthan ka ekikaran kitne charno mein hua

Ans. राजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन् 1948 से आरंभ होकर सन् 1956 तक सात चरणों में सम्पन्न हुई।
तत्कालीन राजपूताना की 19 रियासतों एवं तीन चीफशिप (ठिकानों) वाले क्षेत्रों को 7 चरणों में एकीकृत कर 30 मार्च 1949 को राजस्थान का गठन किया गया। राजस्थान के एकीकरण में कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन या 3144 दिन लगे।


Q 2. Rajasthan ka ekikaran kab hua

Ans. 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान का एकीकरण पूरा हुआ।

Q 3. वृहत राजस्थान का निर्माण कब हुआ

Ans. वृहत राजस्थान का निर्माण 30 मार्च 1949
हुआ

Q 4. Rajasthan sthapna diwas मनाया जाता है।

Ans. Rajasthan sthapna diwas 1 नवम्बर को मनाया जाता है।


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