राजस्थानी भाषा एवं बोलियां - Rajasthani marwari language bhasha learning in hindi
राजस्थानी भाषा एवं बोलियां || Rajasthani marwari language bhasha learning in hindi
जानिये rajasthani marwari language bhasha learning in hindi राजस्थानी भाषा एवं बोलियां के बारे में Dingal,Pingal,Mewari,Hadoti boli,origin and evolution of Rajasthani
Information about Rajasthani, a Western Indo-Aryan language spoken mainly in Rajasthan in India.rajasthani language|rajasthan ki boliya/rajasthani bhasha/rajasthani bhasha or boliya /Rajasthani language/राजस्थानी भाषा एवं बोलियां /Rajasthan ki Bhasha evam boliya/rajasthan ki bhasha in hindi|marwariaja language|rajasthani language| rajasthani bhasha| marwari language| rajasthani language in hindi| marwadi bhasha mein|
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राजस्थानी का निर्माण शोरसेनी प्राकत अपभ्रंश से हुआ है |
राजस्थानी का निर्माण गुजरी अथवा मरु गुजरी अपभ्रंश से हुआ |
गुजरी अथवा मरु गुजरी अपभ्रंश शोरसेनी प्राकत का बिगड़ा हुआ रूप है |
राजस्थानी में 73 बोलिया है |
राजस्थानी का मानक / स्टेंडर्ड रूप मारवाड़ी है |
राजस्थानी भाषा का मातृ भाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है |
राजस्थानी भाषा का साहित्यक रूप डिंगल कहलाता है |
डिंगल-Dingal :--
डिंगल का साहित्य चारण जाति के कवियों द्वारा लिखा गया |
डिंगल पश्चिम राजस्थान की काव्य शैैली रही |
राजस्थान का सवार्धिक महत्वपूर्ण साहित्य डिंगल साहित्य है |
वंश भास्कर और वैली कृष्ण रुक्मणी री डिंगल की श्रेष्ट रचना है |
पिंगल-Pingal :--
पिंगल पूर्वी राजस्थान की कविता की शैैली रही |
पिंगल काव्य शैैली ब्रज भाषा से प्रभावित थी |
पिंगल , डिंगल की अपेक्षा सरल थी |
पृथ्वीराज रासाैै पिंगल का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है |
पिंगल का अधिकतर साहित्य भाट जाति के कवियों द्वारा लिखा गया |
राजस्थानी भाषा के विविध नाम :--
* कुवलयमाल --- उधोतन सुरी ( 735 ई ) ----- मरुभाषा / मरुवाणी
* आइने अकबरी --- अबुल फजल --- मारवाडी
* पिंगल शिरोमनी --- कुशल लाभ --- डिंगल
* लिंग वेस्टिक सवैै आॅॅफ इण्डिया --- जाॅॅर्ज अब्राहम गियर्सन --- राजस्थानी
राजस्थानी की बोलिया और उप बोलिया(rajasthani language)
मारवाड़ी -Marwari Rajasthani language
मारवाड़ी राजस्थान के सबसे बड़े भू भाग में बोली जाती है |
मारवाड़ी राजस्थान की सवार्धिक जनसंख्या द्वारा बोली जाती है |
मारवाड़ी की प्रिय राग 'माड राग "और मारवाड़ी का प्रिय छंद " सोरठा छंद"है |
यह पश्चिमी राजस्थान में बोली जाती है |
जैसलमेर , बीकानेर ,पाली , जालौर ,सिरोही ,जोधपुर ,बाड़मेर, हनुमानगढ़ ,गंगानगर ,नागौर ,सीकर ,चूरू ,झुंझनू ,बहावलपुर (pok )
मारवाड़ी-Marwari Rajasthani Language की उपबोलिया :--
थली :- जैसलमेर ,बीकानेर
गोड़वाड़ी :- पाली ,जालोर
देवडावाटी :- सिरोही ),
ओसवली / माहेश्वरी :- जोधपुर
बाड़मेरी :- बाड़मेर
बागड़ी :- हनुमानगढ़ , गंगानगर
नागोरी :- नागौर
शेखावाटी :- सीकर ,चूरू ,झुंझनू
ठटकी :- बहावलपुर pok
ठूंठाडी-thoonthadi rajasthani language :---
टोंक और सवाई माधोपुर की बूंदी से लगती सीमा पर नागरचाल बोली जाती है |
ठूँठाडी बोली लुप्त होने के कगार पर है | इस कारण सरकार द्वारा अचरोल ( जयपुर ) से इसकी रिकॉडिंगकरवाई जा रही है | ठूँठाडी का शुध्द रूप जयपुर के परकोटे सांगानेर ,आमेर ,अचरोल और चौंमू में बोला जाता है |
ठूंठाडी-thoonthadi rajasthani language की उपबोली
जिला उपबोली
खड़ी , जयपुरी :- जयपुर
काठेड़ी :- टोंक
चौरासी :- सवाईमाधोपुर
राजावाटी :- दौसा
नागरचल :- टोंक ,सवाई माधोपुर ,बूंदी
अजमेरी ( किशनगढ़ी ) :- अजमेर
---- :- नीमकाथाना ( सीकर )
तोरावाटी :- उदमपुरवाटी ,खेतड़ी ( झुंझनू )
मेवाड़ी-mewadi rajasthani language :---
उदयपुर ,प्रतापगड ,चितोड़गढ़ ,भीलवाड़ा और राजसमंद
हाड़ोती-Hadoti rajasthani language :---
कोटा, बूंदी, बांरा और झालावाड़
वागड़ी(भीली)-Wagadi rajasthani language :---
डूंगरपुर और बांसवाड़ा
भीलो द्वारा बोली जाने के कारण भीली भी कहते है |
खेराडी-Kheradi rajasthani language :---
हाड़ोती +ठूंठाडी + मेवाड़ी का मीलाजुला रूप है |
भीलवाड़ा ---- शाहपुरा व जहाजपुर
बूंदी ----- हिण्डोली
मालवी-Malvi rajasthani language :---
मूलरूप से मध्यप्रदेश के सीताभऊ ,रतलाम ,उज्जैन,मंदसौर और झबुआ में बोली जाती है |
राजस्थान में झालावाड़ , प्रतापगड और चितोड़गढ़
उपबोलिया :---
राजस्थान में ---- निमाडी
मध्य प्रदेश में ---- उमठंवाडी , पाटवी ,उज्जैनी ,रतलामी ,सोडवाडी
मेवाती-Mewati rajasthani language :---
अलवर ,भरतपुर ,करौली और धौलपुर में बोली जाती है |
उपबोलियाँ :---
नहेड़ा मेवाती ,आरेज मेवाती ,बयाना मेवाती ,कंठेर मेवाती ,राठी
राठी-Rathi rajasthani language :---
राठी (राठ प्रदेश ) / हीरवाल /अहीरवाटी * यह बोली जयपुर के कोटपूतली ,अलवर के बहरोड़ ,मुण्डावर ,थानागाजी व अजबगढ़ क्षेत्र में बोली जाती है |
यह यादुवो द्वारा बोली जाती है | इसलिए इसे हीरवाल और अहीरवाटी भी कहते है |
राठ क्षेत्र में बोली जाती है इसलिए राठी कहते है |
राजस्थान में अन्य राज्यों की बोली जाने वाली भाषायें :----
पंजाबी ----- हनुमानगढ़ और गंगानगर
हरियाणवी ( बांगरू )----- हनुमानगढ़ ,चूरू ,झुंझनू ,सीकर ,जयपुर ,अलवर
ब्रज ----- भरतपुर , धौलपुर ,करौली
गुजरती ----- डूंगरपुर ,बांसवाड़ा ,उदयपुर ,सिरोही और जालौर
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