राजस्थान के लोक नृत्य - rajasthan ke pramukh lok nritya in Hindi

राजस्थान के प्रमुख लोक नृत्य - rajasthan ke pramukh lok nritya। nrty - Folk Dances of Rajasthan in Hindi 


जानिये राजस्थान के लोक नृत्य के बारे में |राजस्थान GK: राजस्थान के प्रमुख लोक नृत्य - rajasthan ke pramukh lok nritya/nrty - Folk Dances of Rajasthan in Hindi | RAJASTHAN KE PRAMUKH LOK NRITYA|LOK NRTY|LOK NRITYA|TYPES OF FOLK DANCE|LOK NRITYA OF RAJASTHAN IN HINDI|RAJASTHAN GK राजस्थान के प्रमुख लोक नृत्य| तेरहताली नृत्य लोक देवता को समर्पित है तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना BHAVAI NRITYA SHEKHAWATI KSHETRA KE LOK NRITYA।शेखावाटी क्षेत्र के लोक नृत्य सहरिया जाति के नृत्य। SAHARIYA JANJATI NRITYA KATHODI JANJATI KE NRITYA। कथोड़ी जनजाति के नृत्य MEV JAATI KE NRITYA। मेव जाति के नृत्य BHEEL JANJATI KE LOK NRITYA। भील जनजाति के लोक नृत्य GARASHIYO KE LOK NRITYA। गरासियों के लोक नृत्य KALBALIYA LOK NRITYA। कालबेलिया लोक नृत्य GULABO-KALBALIYA SHASTRIYA NRITYA।शास्त्रीय नृत्य KATHAK NRITYA। कथक नृत्य VYAVSAYIK NITYA। व्यवसायिक नृत्य राजस्थान के प्रमुख लोक नृत्य|राजस्थान में नृत्य  RAJASTHAN KA LOK NRITYA KONSA HAI RAJASTHAN KE LOK NRITYA PDF RAJASTHAN KA LOK NRITYA KYA HAI RAJASTHAN LOK NRITYA TRICK RAJASTHANI LOK NRITYA WIKIPEDIA RAJASTHAN KE PRAMUKH LOK NATYA के बारे में जानकारी प्राप्त करोगे 

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rajasthan ke pramukh lok nritya। nrty


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1) घूमर नृत्य: नृत्यों का सिरमौर घूमर राज्य नृत्य के रूप (Ghoomar Nritya )  :--- 
* यह राजस्थान का सबसे प्रसिध्द लोक नृत्य है | 
* इसे लोक नृत्यों का सर सिर मोर भी कहते है | 
* इसे राज्य की आत्मा भी कहते है | 
* यह विशेष कर गणगौर के पर्व पर किया जाता है | 
* विश्व के लोक नृत्यों में इसका चौथा (४) स्थान है |
* यह कहरवा ताल( kaharava taal) के ठेके पर किया जाता है |
* घूमर समारोह जयपुर में बनाते है |
* इसके आठ कहरवे की एक विशेष चाल होती है जिसे " सवाई " कहते है |
* राजस्थान में घूमर के तीन प्रकार है |
A) घूमर - जब साधारण स्त्रियों द्वारा किया जाता है |
B) लूर - जब राजपूत महिलाओ के द्वारा किया जाता है |
C) झुमरियो - जब बालिकाओ के द्वारा किया जाता है |
* इस नृत्य का उद्गम मध्य एशिया के भरंग / मृग नृत्य से माना जाता है |

 

Ghoomar-Nritya
Ghoomar-Nritya

2) घुमरा :---
* यह भील स्त्रियों द्वारा अर्ध वृत बनाकर किया जाता है |
3) घूमर - घुमरा नृत्य :---
* यह मृत्यु पर क्या जाता है | यह एक शौक नृत्य है | यह ब्राह्मण जाति में बागड़ क्षेत्र में किया जाता है |
* किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाने पर उस महिला को उसके पीहर वाले अपने गांव ले जाते है  व उसका श्रृंगार कर पुनः उस व्यक्ति के शव के पास लेट है|
* इस गांव की महिलाये उस शव के चारो तरफ दो गोल घेरे बना लेती है एक घेरे में विधवा महिलाए व दूसरे घेरे में सुहागिन महिलाए खडी हो जाती है | तथा अपनी छाती को पीटते हुये उस व्यक्ति के गुणों का यशगान करती है |
4) बम रसिया नृत्य(Bomb Rasiya Dance):---
* इसमें केवल पुरुष भाग लेते है |
* होली पर किया जाता है |
*भरतपुर व अलवर का प्रसिध्द है |
* इसमें रसिया नामक गीत गया जाता है |
* मुख्य वाध्ययंत्र  नगाड़ा होता है |
5) डिग्गीपूरी का राजा नृत्य:---
* डिग्गी मालपुरा टोंक में है |
* कल्याणजी के भक्तों के द्वारा प्रसिध्द गीत पर किया जाता है |
6) लांगुरिया नृत्य|Languria Dance ( करौली ) :---
* केलादेवी के भक्तों द्वारा प्रसिध्द गीत पर यह नृत्य किया जाता है |
* इसे घुट्टवन नृत्य भी कहते है |
* बाड़ी ( धौलपुर ) के नारायणसिंह बैगणिया इस ण रत्य के लिए प्रसिध्द है |
7) थाली नृत्य(Thali Dance) :---
पाबूजी के मेले में पुरुषों के द्वारा अपनी आंगुली पर थाली को विधुत गति के भांति से घूमते हुये यह नृत्य किया  जाता है |
* यह कोलू गांव - फलौदी - जोधपुर  व  आहड़ - उदयपुर में किया जाता है |
* इसमें मुख्य वाध्य यंत्र रावण हत्था होता है |
8) बीरबल नृत्य :---
* ब्यावर ( अजमेर ) में बादशाह मेले के दोहरान किया जाता है |
* इसमें केवल पुरुष भाग लेते है |
* इसमें टोडरमल की सवारी निकाली जाती है |
* इसमें भैरव नृत्य व मोर - मोरनी नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है |
9) मयूर नृत्य(Mayur Nritya/Nrty/Dance) :---
* यह भरतपुर का प्रसिध्द है
* इसमें पुरुष व महिला दोनों भाग लेते है |
10) डांग नृत्य :---
* नाथद्वारा - राजसमंद में होली पर श्रीनाथजी के भक्तों द्वारा किया जाता है |
11) अग्नि नृत्य(Agni Dance/Nritya/Nrty) :---
* यह कतरियासर - बीकानेर में जसनाथी सम्प्रदाय के सिध्द जाट पुरुषो द्वारा अपने मूक से फते : फते : का उच्चारण करते हुए जलते हुए अंगारो ( धूणा ) पर कूदते हुए यह नृत्य किया जाता है |
* मतीरा फोड़ना , हल जोतना व फूल बनाना का संबंध इस नृत्य से है |
12) ऊँट नृत्य (Camel Dance/Nritya/Nrty ) :---
* इसमें केवल  पुरुष भाग लेते है |
* यह बीकानेर का प्रसिध्द है |
* झुंझनू के बेकिराम इस नृत्य के लिए प्रसिध्द है |
13) खारी नृत्य (Khaaree Dance/Nritya/Nrty) :--- 
* मेवात में दुल्हन की विदाई पर उसकी सहेलियों द्वारा अपने हाथो की चूडियो को बजाते हुए यह नृत्य किया जाता है |
14) ल्हुर / लूहर नृत्य(Lhur / Luhar Dance/Nritya/Nrty) :---
* इसमें केवल पुरुष भाग लेते है |
* इसमें अभिनेता व अभिनेत्री बनाकर फ़िल्मी गानों पर नृत्य किया जाता है |
* यह एक अश्लील या फूहड़ नृत्य है |
* इसे मीठी खुजली भी कहते है |
* यह गणेश चतुर्थी पर चिड़ावा - झुंझनू में किया जाता है |
15) टूट्या ( खोड़िया ) नृत्य :---
* विवाह पर वर पक्ष की महिलाओ द्वारा किया जाता है इसे खोड़िया  नृत्य भी कहते है|
16) ढोल नृत्य(Dhol Dance/Nritya/Nrty) :---
* यह जालौर का प्रसिध्द है |
* इसमें केवल पुरुष भाग लेते है |
* विवाह पर किया जाता है |
* इसमें पुरुष एक गोल घेरा बनाकर अपने हाथो में ढोल लेकर नृत्य करते है |
* इसमें ढोल को एक विशेष शैली में बजाय जाता है " थाकना शैली " कहते है |
17) बिन्दौरी नृत्य (Bindouri Dance/Nritya/Nrty) :---
* यह विवाह पर पुरुष व महिलाओ के द्वारा किया जाता है |
* यह झालावाड़ का प्रसिध्द है |
18) मछली नृत्य (Machhalee Dance/Nritya/Nrty) :---
* हाड़ौती क्षेत्र में बन्जारा जाति की स्त्रीयो द्वारा चांदनी रात में किया जाता है |
* यह राजस्थान का एक मात्र लोक नृत्य है | जो ख़ुशी के साथ शुरू होता है तथा दुःख के साथ समाप्त होता है |
19) सुकर नृत्य :---
* आदिवासी पुरुषो द्वारा अपने देवता सुकर का मुखौटा लगाकर यह नृत्य किया जाता है |
* यह मेवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |
20)घुड़ला नृत्य (Ghudala Dance/Nritya/Nrty) :---
* इसमें एक घड़े में कई छोटे - छोटे छिद्र करके उसमे दीपक रखकर स्त्रीया अपने सिर धारण करके नृत्य करती है |
* यह गणगौर पर किया जाता है |
* यह मारवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |
21) झाझी नृत्य (Jhajhi Dance/Nritya/Nrty) :---
* इसमें एक पात्र में छोटे - छोटे मटको को समूह में लेकर स्त्रीया  अपने सिर पर धारण करके नृत्य करती है |
* यह मारवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |
22) चरी नृत्य (Charee Dance/Nritya/Nrty) :---
* इसमें एक काँसे की चरी स्त्रियों अपने पर रखकर नृत्य करती है |
* इस चरी मे से आग की लपटटे निकलती रहती है |
* यह गुर्जर जाति की स्त्रीयों द्वारा किशनगढ़ ( अजमेर ) में किया जाता है |
* यह गणगौर पर किया जाता है |
* किशनगढ़ की फलकुबाई इस नृत्य के लिये प्रसिध्द है |

23)  चरकुला नृत्य  (Charkula Dance/Nritya/Nrty) :---
* यह मुलतयः उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य है |
* राजस्थान में भरतपुर का प्रसिध्द है |
* इसमें केवल स्त्रियाँ भाग लेती है |
24) कबूतरी नृत्य :---
* यह चूरू का प्रसिध्द है |
* इसमें केवल महिलाये भाग लेती है |
25) लुम्बार नृत्य :---
* यह जालौर का प्रसिध्द है |
* इसमें केवल महिलाये भाग लेती है |
* यह होली पर किया जाता है |
26) झूमर नृत्य :---
* इसमें महिलाये भाग लेती है |
* यह श्रृंगार रस से संबधित है |
* यह मारवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |
27) झुमरा नृत्य :---
* इसमें पुरुष भाग लेते है |
* यह वीर रस से सम्बधित है |
* यह मेवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |

28) तेरहताली नृत्य|Terathali|Teratali Nritya  :--- 
Teratali lok Nritya का उद्गम स्थल पाडरला गांव पाली है |
* यह कामड़ जाति की स्त्रियों द्वारा किया जाता है |
* रामदेवजी के मेले की विशेषता यह नृत्य है |तेरहताली नृत्य रामदेवजी लोक देवता को समर्पित है| 
* यह राजस्थान में महिलाओ का एक मात्र लोक नृत्य है जो बैठकर ही किया जाता है | इसमें नृत्यकी अपनी शरीर के तेरह विभिन्न स्थानों पर मंजीरे बांधकर अपने हाथों के मंजिरो से प्रराह करते हुये नृत्य करती है |
* इसमें नृत्यकी बायें पांव पर शून्य मंजिरे व दायें पाव पर 9 मंजिरे बांधती है |
* पाडरला गांव की मांगीबाई तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं | 
* इस नृत्य में नृत्यकी अपने मुंह में तलवार या कटार दबाकर नृत्य करती है जो हिंगलाज माता का प्रतीक है |
* इसमें मुख्य वाद्य यंत्र तंदूरा / चौतारा होता है |
Note  २ मांगीबाई --- उदयपुर में जन्मी प्रसिध्द मांड गायिका है |

 

Teratali-lok-Nritya
Teratali-lok-Nritya



29) धरती धोरा री नृत्य :--- 
* इसमें 12 - 15 पुरुष व महिला मिलकर एक गोल घेरा बनाकर राजस्थान की गौरव गाथा को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते है |
30) डांडिया नृत्य| Dandiya Nritya  :---
* इसमें 20 - 25 पुरुष अपने हाथों में लम्बी - लम्बी छड़िया धारण करके एक गोल घेरा बनाकर युध्द कला का प्रदर्शन करते हुये नृत्य करते है |
* यह मारवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |
31) भवाई नृत्य| Bhavai Nritya :--- 
* यह नृत्य एक अपनी चमत्कारिता के लिये प्रसिध्द है | इसमें नृत्यक या नृत्यकी अपने सिर पर आठ / दस मटके रखकर कांच के टुकड़ो , तलवार व गिलास पर नृत्य करती है |
* यह मेवाड़ क्षेत्र का प्रसिध्द है |
* रूपसिंह शेखावत , सांगीलाल सांगड़िया , तारा शर्मा व दयाराम इस नृत्य के लिये प्रसिध्द |
* भवाई नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यांगना अस्मिता काला ,जयपुर की इस बालिका ने अपने सिर पर क्रमश 111 व 195 घड़े रखकर यह नृत्य किया है |तथा अपना नाम दो बार लिम्बा बुक में दर्ज करवाया है | इन्हे " भवाई श्री " व " लिटिल वंडर ऑफ न राजस्था" की उपाधियों से सम्मानित किया गया है |
Note 
*  भवाई लोक नाट्य :---  शंकरिया , सूरदास , बीकाजी , बाघाजी प्रसिध्द भवाई लोक नाट्यो का नाम है |
* भवाई जाति :--- यह राजस्थान व गुजरात की सीमा के साहरे - साहरे पायी जाती है |
        
Bhavai-Nritya
Bhavai-Nritya 


Shekhawati Kshetra ke lok nritya।शेखावाटी क्षेत्र के लोक नृत्य


1

Chang Nitya। चंग नृत्य

चंग नृत्य मे केवल पुरुष भाग लेते हैं।
चंग नृत्य होली पर किया जाता है।
चंग नृत्य में पुरुष काऊ के चारों तरफ एक गोल घेरा बनाकर अपने हाथों में चंग वाद्य यंत्र लेकर होली की धमाल गाते हुए बांसुरी को बजाते हुए नृत्य करते हैं।

2

Jindabad nritya। जिंदाद नृत्य

जिंदाबाद नृत्य में केवल पुरुष भाग लेते हैं।
दातारामगढ़ सीकर का प्रसिद्ध है।
इसमें मुख्य वाद्य यंत्र ढोलक होता है।

3

Kacchi Ghodi fok nritya। कच्छी घोड़ी नृत्य

Kacchi Ghodi fok nritya, एक लकड़ी की घोड़ी होती हैं जिस  के मध्य पुरुष खड़ा होकर घोड़ी को संचालित करते हुए नित्य करता है।
Kacchi Ghodi nritya, पैटर्न बनाने के लिए प्रसिद्ध है।
Kacchi Ghodi nritya, फूल का सुकड़ना व फूल का खिलना क्रिया होती है।
Kacchi Ghodi nritya, लसकारिया व बिंदिया गीत गाए जाते हैं।
 

4

Gidad nritya । गीदड़ नृत्य


Gidad nritya, होली पर केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है।
Gidad nritya, में वह पुरुष पात्र जो महिलाओं की वेशभूषा धारण करते हैं उन्हें गणगौर या महरी कहते हैं।
Gidad nritya, विभिन्न प्रकार के स्वांग जैसे सेठ- सेठानी, दूल्हा-दुल्हन, जोगी-जोगन, साधु-साध्वी आदि रचाये जाते है।
Gidad nritya, में लकड़ी के छोटे-छोटे हथियार बनाए जाते हैं।
Gidad nritya, में मुख्य वाद्य यंत्र नगाड़ा होता है।
Gidad nritya, फतेहपुर शेखावटी सीकर का सबसे प्रसिद्ध है।

सहरिया जाति के नृत्य। sahariya janjati Nritya

1

Monkey(Manki) Nritya।Nirty। मंकी नृत्य

मंकी नृत्य केवल पुरुष भाग लेते हैं।
बंदरों की भांति नृत्य करते हैं।
2

Shikari Nritya। शिकारी नृत्य

Shikari Nritya, में केवल पुरुष भाग लेते हैं।
Shikari Nritya, में आखेट कला का प्रदर्शन किया जाता है।

Kathodi janjati ke Nritya। कथोड़ी जनजाति के नृत्य

1

Mavliya Nritya। मावलिया नृत्य

नवरात्रि पर केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है।
2

Holi Nritya। होली नृत्य

इसमें केवल स्त्रियां भाग लेती है।

Mev jaati ke Nritya। मेव जाति के नृत्य

1

Rav Baja Nritya। रणबाजा नृत्य

इसमें पुरुष व महिला दोनों भाग लेते हैं।

2

Rat vai। रतवई नृत्य

इसमें केवल महिलाएं भाग लेती है।

Bheel janjati ke lok Nritya। भील जनजाति के लोक नृत्य


1

Hathi Mana Nritya। हाथीमना नृत्य

Hathi Mana Nritya, मैं पुरुष एक गोल घेरा बनाकर अपने घुटनों के बल बैठकर अपने हाथों में हथियार लेकर युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए नृत्य करते हैं।
Hathi Mana Nritya, विवाह पर किया जाता है।

2

Gavri Nritya। गवरी नृत्य

Gavri Nritya, को राई नृत्य भी करते है।
Gavri Nritya, में शिव व पार्वती के पात्र बना कर इसे नाटक के रूप में आयोजित किया जाता है।
Gavri Nritya, में शिव को पूरिया कहते हैं।
Gavri Nritya, में शिव भस्मासुर की कथा का मंचन किया जाता है।

Note
Gavri samaroh। गवरी समारोह उदयपुर में मनाते हैं।

3

Ddhi chrki। द्धि चरकी नृत्य 

यह विवाह पर पुरुष व महिलाओं के द्वारा दो वृत बनाकर किया जाता है।

4

Gair Nritya। गैर नृत्य 

यह होली पर फसल की कटाई के दौरान पुरुष और महिलाओं के द्वारा किया जाता है।

Note

Ger Nriya। गेर नृत्य


Ger Nriya, केवल पुरुष भाग लेते हैं।
Ger Nriya, होली पर किया जाता है।
Ger Nriya, में पुरुष अपने हाथों में डंडे लेकर एक गोल घेरा बनाकर युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए नृत्य करते हैं।
इन डंडे को खंडा कहते हैं।
मेवाड़ की Ger में पुरुषों के वस्त्र लाल होते हैं।
बाड़मेर के Ger में पुरुषों के वस्त्र सफेद होते हैं।
बाड़मेर जिले का कनाना गांव के Ger Nriya के लिए प्रसिद्ध है।

Note
Khanda vivaha में वधु के फेरे तलवार के साथ लगाए जाते हैं।

Note
Talvar bandhai। तलवार बंधाई
यह एक उत्तराधिकारी शुल्क था।
राजकुमार के राजा बनने पर लिया जाता था।

Note
Chavri kar। चवरी कर
राजकुमारी के विवाह  पर जनता से लिया जाता था।

5

Neja Nritya। नेजा नृत्या

यह होली पर किया जाता है।
Neja Nritya, एक खेल नृत्य हैं।

Garashiyo ke lok Nritya। गरासियों के लोक नृत्य


1

Walar Nritya। वालर नृत्य

Walar Nritya, Garashiya जाति का सबसे प्रसिद्ध नृत्य हैं।
Walar Nritya, दो अर्ध वृत बनाकर किया जाता है इसमें पुरुष व महिलाएं भाग लेती हैं।
Walar Nritya, अत्यंत धीमी गति के साथ बिना किसी वाद्य यंत्र के किया जाता है।
Walar Nritya, इस नृत्य का प्रारंभ सबसे बुजुर्ग व्यक्ति अपने हाथ में तलवार या छाता लेकर करता है।
Walar Nritya, गणगौर पर किया जाता है।

Note
Talwar। तलवार --- सिरोही
Chhate। छते --- फालना पाली के प्रसिद्ध है।


2

Gair Nritya।गैर नृत्य ( Garashiya)

Gair Nritya, केवल पुरुष भाग लेते हैं।

3

Garva Nritya। गर्वा नृत्य

Garva Nritya, केवल स्त्रियां भाग लेती है।

4

Loor Nritya। लूर नृत्य

Loor Nritya, केवल महिलाएं भाग लेती है।

5

Mandal Nritya। मांदल नृत्य

Mandal Nritya, केवल महिलाएं भाग लेते हैं।

Note

Mandal vadhy yantra । मांदल वाद्य यंत्र

Mandal vadhy yantra, चमड़े से बना होता है।


6

Kud Nritya। कुद नृत्य

Kud Nritya, पुरुष और महिला दोनों भाग लेते है।

7

Jawara Nritya। जवारा नृत्य 

Jawara Nritya, होली पर पुरुष व महिलाओं के द्वारा किया जाता है।

8

Moriya Nritya। मोरिया नृत्य

Moriya Nritya, विवाह पर केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता है।

Note

Charva Nritya । चर्वा नृत्य

Charva Nritya, माली समाज में किसी  स्त्री के शिशु होने पर अन्य स्त्रियों द्वारा अपने सिर पर कांसे का बर्तन रखकर उसमें दीपक रहकर यह नृत्य किया जाता है।
यह मारवाड़ क्षेत्र का प्रसिद्ध है।

Kalbaliya lok Nritya। कालबेलिया लोक नृत्य

Kalbaliya-lok-Nritya-कालबेलिया-लोक-नृत्य
Kalbaliya-lok-Nritya-कालबेलिया-लोक-नृत्य


राजस्थान में लोक नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में Kalbaliya jaati का योगदान सवार्धिक रहा है।

Kalbaliya school of Dance की स्थापना आमेर जयपुर में की गई।

Gulabo। गुलाबो (Ajmer), rajki sapera। राजकी सपेरा (Jaipur) तथा Kanchan Kamli sapera का संबंध kalbeliya या sapera Nritya से है।

वर्ष 2010 में UNESCO द्वारा Kalbaliya lok Nritya को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में सामिल किया गया है।
Gulabo-Kalbaliya
Gulabo-Kalbaliya 


Shastriya Nritya।शास्त्रीय नृत्य 


Kathak Nritya। कथक नृत्य

Kathak, से तात्पर्य कथा कहने वाला से होता है।
Kathak Nritya, मांगलिक अवसरों पर किया जाता है अतः इस मंगल मुखी नृत्य भी कहते हैं।
Kathak Nritya, उत्तरी भारत का शास्त्रीय नृत्य है।
इसका प्रारंभ गणेश वंदना के साथ होता है।
Kathak samaroh, जयपुर में मनाते हैं।
पांरन, तोहरा, पलटा, आमद, सलामी, तुकरा Kathak की विभिन्न मुद्राओं के नाम है।

Kathak Nritya के दो प्रमुख घराने हैं


जयपुर घराना

यह इस शैली का आदिम।प्राचीनतम घराना है।
इसके प्रवर्तक  भानुजी (Bhanu ji) थे ।
यह इस शैली का हिंदू घराना भी है।

लखनऊ घराना

यह है इससे शैली का नवीनतम घराना है।
यह इस शैली का मुस्लिम घराना है।

प्रमुख नर्तक व नृत्यकिया :--
बिरजू महाराज
कानू जी
गीधा जी 
प्रेरणा श्रीमाली
सितारा देवी
लांछी प्रजापति
रेखा शर्मा
रोशन कुमारी
नूपुर

Vyavsayik Nitya। व्यवसायिक नृत्य


Kachchhi Ghodi Nritya। कच्छी घोड़ी नृत्य
Bhavai Nritya।भवाई नृत्य
Teratali Nritya।तेरहताली नृत्य
Chari Nritya। चरी नृत्य

Note

Chakriy Nritya। चकरी नृत्य

कंजर जाति की अविवाहित लड़कियों द्वारा तेज गति से चक्कर काटते हुए Chakriy Nritya नृत्य किया जाता है।
Chakriy Nritya, हाडोती क्षेत्र का प्रसिद्ध है।


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4 Comments
  • panseva
    panseva 8/2/19 4:58 pm

    Nice post.I liked it.Rajasthan is a beautiful place.There are a lot of places to visit.And their culture is different.And there are different forms of dance.I don't have much information about it.But this post shared some of the famous dance forms in Rajasthan.So glad to read it.Keep sharing more interesting posts like this.

  • Unknown
    Unknown 22/8/19 9:47 am

    So Instrasting and good

  • Unknown
    Unknown 24/1/22 10:25 pm

    Super

  • Unknown
    Unknown 24/1/22 10:26 pm

    Super bro

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