जनजातियों द्वारा प्रयुक्त शब्द व भावार्थ - janjatiyon dvara prayukt shabd va bhavarth

जनजातियों द्वारा प्रयुक्त शब्द व भावार्थ

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जनजातियों द्वारा प्रयुक्त शब्द व भावार्थ
जनजातियों द्वारा प्रयुक्त शब्द व भावार्थ


1 . हारफून – एस्किमो लोगों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला भाला ।


2 . माउपाक – एस्किमो द्वारा शीतकालीन अवधि में एक छिद्र के माध्यम से मछली का शिकार करने की विधि ।


3 . इतुरपाक – एस्किमो द्वारा शीतकालीन अवधि में दो छिद्रों के माध्यम से मछली का शिकार करने की विधि ।


4.कयाक – एस्किमो द्वारा प्रयोग में ली जाने वाली नाव ।


5. उतोक – एस्किमों द्वारा बसन्त काल में किये जाने वाले शिकार की प्रक्रिया ।


6 . तिमियाक – एस्किमो लोगों द्वारा पहने जाने वाला बाँहदार वस्त्र ।


7 . अनोहाक - तिमियाक के ऊपर पहने जाने वाला वस्त्र ।


8 . कार्मिक या मुक्लूक्स – एस्किमो द्वारा पहने जाने वाले चमड़े के जूते ।


9 . इग्लू - एस्किमो का बर्फ निर्मित गुम्बदाकार घर ।


10 . कर्मक – एस्किमो द्वारा हड्डियों के ढाँचे से तैयार किया गया ग्रीष्मकालीन घर ।


11 . उमियाक – एस्किमो द्वारा प्रयुक्त बड़ी नाव , जो व्हेल के शिकार के काम आती है ।


12 . स्लेज – एस्किमो द्वारा प्रयोग की जाने वाली बिना पहिये की गाड़ी ।


13 . चिमाता - भीलों द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि ।


14 . दजिया - भीलों द्वारा मैदानी भागों में की जाने वाली कृषि ।


15 . दापा – भील जनजाति में कन्या का मूल्य चुकाने की प्रथा ।


16 . गोल गाधेड़ों - भील जनजाति में युवक द्वारा शूरवीरता व साहस का कार्य दिखाते हुए शादी हेतु युवती चुनने का अधिकार प्राप्त करने की प्रक्रिया ।


17 . फला — भीलों के छोटे गाँवों का समूह ।


18 पाल - भीलों का बड़ा गाँव ।


19 . फाइरे - फाइरे - भीलों का रणघोष ।


20 . गमेती - भील जाति में समस्त पाल का मुखिया ।


21 . बोलावा - भील जनजाति में मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाला व्यक्ति !


22 . दीप्पा - गोंड जनजाति द्वारा की जाने वाली झूमिंग कृषि ।


23 . सगा – गौंड जनजाति में गौंडों के चार मुख्य वर्गों को सगा कहा जाता है ।


24 . मुखादम – गौंड जनजाति में गाँव का मुखिया मुखादम होता है ।


25 . कोतवार – गाँव के चौकीदार का गौंड जनजाति में कोतवार नाम होता है ।


26 . देबारी – गौंड जनजाति में गाँव के पुजारी या पुरोहित को देबारी कहते हैं ।


27 . कबाडी प्रथा — गौंड जनजाति में छोटे कर्ज को चुकाने के लिए ऋणी की कई पीढ़ियों को साहूकारों के गुलाम बनकर रहने की प्रथा ।


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