राजस्थान के प्रमुख संत सम्प्रदाय || Rajasthan ke sant sampraday

Rajasthan ke sant sampraday - राजस्थान के प्रमुख संत सम्प्रदाय

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Rajasthan ke sant sampraday - राजस्थान के प्रमुख संत सम्प्रदाय
Rajasthan ke sant sampraday




मीरा बाई   

मीरा बाई ( meera bai )
मीरा बाई ( meera bai )


* मीराबाई का जन्म पाली जिले के कुकड़ी गांव में हुआ।
* माता पिता रतन सिंह और खुशबू कंवर
* मीराबाई के बचपन का नाम पेमल था।
* मीराबाई का लालन-पालन बाजोली और मेड़ता में हुआ।
* मीराबाई को भक्ति के संस्कार उनके दादा राव दूदा ने दिए।
* मीराबाई का विवाह मेवाड़ के राणा सांगा के जेष्ठ पुत्र भोजराज के साथ हुआ।
* भोजराज की मृत्यु के बाद मीराबाई चित्तौड़ किले के कुम्भ श्याम मंदिर में रहकर कृष्ण की भक्ति करने लगी।
* मीरा के गुरु रैदास जी माने जाते हैं।
* रैदास की छतरी चित्तौड़गढ़ किले के कुम्भ श्याम मंदिर में है।
* मेवाड़ के तत्कालीन राणा और मीराबाई के देवर विक्रमादित्य ने मीराबाई को अनेक कष्ट दिए तो उन्होंने चित्तौड़ त्याग दिया और मेडता होती हुई वनदावन पहुंची।
* मीराबाई ने वंदावन में रूप गोस्वामी का गर्व भजन किया।

मीराबाई की रचनाएं
मीरा पदावली
रुक्मणी मंगल
सत्यभामा जी नों रूसनो
नरसी मेहता नी हुंडी
 राग गोविंद
गीत गोविंद की टीका

* मीराबाई के आदेश पर रत्ना खाती ने ब्रजभाषा में नरसी जी रो मायरो रचना की
* मीराबाई की रचनाएं राजस्थानी मिली थी लेकिन इस बार हुआ गुजराती का प्रभाव है।
* मीराबाई ने वंदावन छोड़कर गुजरात की राह ली तथा द्वारकाधीश की मूर्ति में विलीन हो गई।
* मीराबाई की भक्ति माधुर्य भाव से युक्त सख्य भाव की थी।
* मीराबाई का दर्शन सखी भाव का है।

दादू दयाल

*दादू पंथ की स्थापना दादू दयाल जी ने की।
* दादू जी का जन्म सेट कृष्ण अष्टमी 1544 के दिन गुजरात राज्य के अहमदाबाद मैं हुआ।
* मान्यता है कि यह लोदीराम नाम के व्यक्ति को इसी दिन साबरमती नदी में बहते हुए मिली ।
* गुरु का नाम - वृद्धनंद
वृद्धनंद ने इन्हीं निर्गुण निराकार राम - नाम का मंत्र दिया ।
* दादू जी ने राजस्थान में अपना प्रथम केंद्र सांभर जयपुर में बनाया वहीं पर दादू पंथ की स्थापना।
* कुछ दिनों में उन्होंने आमेर में  मावठा झील किनारे रहते हुए साधना की।
* उन्होंने दोसा में भी कुछ समय बिताया।
* 1585 में इन्होंने फतेहपुर सीकरी स्थित अकबर के इबादत खाना की धर्म सभा में भाग लिया ।
* दादू जी ने अपना अंतिम समय नारायणा या नरेना जयपुर में बिताया और यहीं पर दादू संप्रदाय प्रधान पीठ की स्थापना की।
* दादू संप्रदाय की मुक्ति पीठ नारायणा में है।
* दादू दयाल जी के दो पुत्र तथा दो पुत्रियां थी गरीबदास मिस्किन दास ,शोभा कुमारी, रूप कंवरी ।
* दादू जी की रचनाएं दादू वाणी तथा दादूरा दुआ
* इस संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ दादू वाणी है।
* दादू संप्रदाय में सत राम दादू राम कहकर अभिवादन करते हैं।
* इस संप्रदाय के संत ना तिलक लगाते हैं ना माला पहनते हैं सफेद रंग के वस्त्र पहनते हैं।
* इस संप्रदाय के साधना केंद्र को अलख दरीबा कहते हैं।
* दादू जी को राजस्थान का कबीर कहा जाता है।
* इस संप्रदाय में संतों को ना जलाते और ना दफनाते हैं इनके मृत शरीर को जंगलों में फेंक देते हैं जानवरों के लिए
* दादू रचनाएं राजस्थानी भाषा की ढूढानी बोली में लिखें 
* दादू जी के परम शिष्य गरीबदास, mysskin das , सुंदरदास जी, माधवदास 
* दादू जी के कुल 152 शिष्य थे जिसमें से 100 सन्यासी वैरागी हो गए तथा 52 शिष्यों ने पंत का विस्तार किया यह 52 शिष्य दादू पंथ के आधार स्तंभ कहलाते हैं

रज्जब जी 

*  रज्जब जी का जन्म जयपुर जिले के सांगानेर कस्बे हुआ।
* जाति से  पठान मुसलमान थे।
* गुरु दादू जी
* प्रथम मुलाकात आमेर की मवठा झील के किनारे हुई।
* यह आजीवन दूल्हे की वेशभूषा में रहा।
* इन्होंने सांगानेर में रहकर पीठ की स्थापना की।
* इनके अनुयाई रजब पंथी कहलाते हैं।
* रजब जी की रचनाएं रजब वाणी   और सर्वांगी
* यह दादू जी के सबसे प्रिय शिष्य थे

सुंदर दास

* सुंदर दास का जन्म दोसा में खंडेलवाल में बनिया वैश्य परिवार में हुआ
* माता सती और पिता परमानंद
* गुरु दादू जी
* इन्होंने अपनी कर्मस्थली फतेहपुर शेखावटी सीकर को बनाया
* भारत के सभी निर्गुण संतों में सुंदर दास जी सबसे  विद्वान संत थे
* सुंदर दास जी की मृत्यु 111 साल की आयु में सांगानेर में हुई
* सुंदर दास जी की रचनाएं ज्ञान सवैया ज्ञान समुंदर सुंदर ग्रंथावली
* दादू पंथ में नागा पंथ की स्थापना सुंदर दास जी ने की
* दादूपंथी नागा साधुओं की प्रधान पीठ जयपुर शहर के रामगंज बाजार में है
* नागा साधु धर्म की रक्षा के लिए युद्ध लड़ते थे योद्धा साधु कहलाते हैं।

जांभोजी

* जांभोजी का जन्म नागौर जिले के पीपासर गांव में हुआ
* माता पिता हंशा देवी व लोहाट जी
* यह पंवार वंश के राजपूत थे
* इन्हें गूंगा गहला भी कहा जाता है
* उनके बचपन का नाम धनराज था।
*विश्नोई संप्रदाय की स्थापना जांभोजी ने की।
*इस संप्रदाय के जांभोजी को विष्णु का अवतार माना जाता है
*माता पिता की मृत्यु के बाद सारी संपत्ति दान में देकर उन्होंने संन्यास ले लिया
* बीकानेर जिले के नोखा क्षेत्र के समराथल नामक गांव में एक टीले पर बैठकर तपस्या करने लगे
* इसी किले पर तपस्या करते हुए 1485 ई में इन्होंने विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की
* समराथल के जिस टीले पर बैठकर तक्षा कि उसे धोका धोरा कहते हैं
* जांभोजी ने जिन जिन स्थानों पर उपदेश दिए वहां जामभोजी के मंदिर बने हुए हैं जिन्हें साथरीय कहा कहा जाता है

जांभोजी ( jambho ji )
जांभोजी ( jambho ji )

* विश्नोई शब्द का शाब्दिक अर्थ बीस +नोई /20+9=29 होता है
* विश्नोई संप्रदाय में 29 नियमों को माना जाता
* विश्नोई संप्रदाय में कर्मकांड कराने  वाले को थापन कहते है
* जांभोजी की मृत्यु बीकानेर जिले के लालासर गांव में हुई
* जांभोजी की समाधि तालेवा गांव में दी गई है
* तलेवा को वर्तमान में मुक्तिधाम मुकाम कहा जाता है
* जांभोजी की  रचनाएं जंभ सागर,  जंभ वाणी, जम्भ संहिता, जंभ सागर शब्दावली बिश्नोई धर्म प्रकाश
* सिकंदर लोदी ने जांभोजी के कहने पर गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाया था
* जांभोजी की स्मृति में जैसलमेर के राजा जेत्रसिंह ने फलोदी के नजदीक एक जांबा नमक तलाब बनाया जो विश्नोई संप्रदाय का प्रधान तीर्थ है और यहां पर भाद्रपद पूर्णिमा और चैत्र अमावस्या को मेला लगता है।
* जांभोजी के गुरु गोरखनाथ थे
* जांभोजी को पर्यावरण संरक्षण का संत कहा जाता है
* जांभोजी का मेला मुकाम बीकानेर में अश्विन तथा फाल्गुन अमावस्या को लगता है
* विश्नोई संप्रदाय की सवार्धिक  संख्या जोधपुर में है इसमें सवार्धिक जाट जाति के हैं

 जसनाथ जी 

*जसनाथी जी सिद्ध संप्रदाय की स्थापना जसनाथ जी ने की थी ।
* जसनाथ जी का जन्म बीकानेर जिले की कतरियासर गांव में हुआ
* माता-पिता रूपादे व हमीरजी
* यह जानी गोत्र के जाट थे
* गुरु गोरखनाथ
* इन्होंने 12 वर्ष की अवस्था में सन्यास लेकर 12 वर्ष तक गोरख मालिया नामक टीले पर तपस्या की
* 24 वर्ष की आयु में इन्होंने गोरख मालिया नामक टीले पर जीव समाधि ले ली
* इनकी रचनाएं गोरख  छंदो, कोंडा,सिंभू धड़ा
* सिद्ध संप्रदाय ज्ञान मार्गी निर्गुण संप्रदाय है
* इनके समाधि लेने के बाद इनकी अविवाहित पत्नी या मंगेतर  कलाल दे ने कतरियासर से 1 मील पूर्व दिशा में जीवित समाधि ले ली उस स्थान को कलाल दे री बाड़ी कहा जाता है।
* इस संप्रदाय में जाल वृक्ष तथा मोर पंख को पवित्र माना जाता है
* Jasnaathi सिद्ध अग्नि नृत्य करने के कारण पूरे विश्व में जान जाते हैं
* अग्नि नृत्य करते समय सूत्र फतेह फतेह का जाप करते हैं
* इस संप्रदाय का मेला कतरियासर में आश्विन माह और चैत्र शुक्ल सप्तमी दिन लगता है
* इस samprday में भगवा रंग की ध्वजा फहराई जाती है
* जसनाथ जी सिद्ध संप्रदाय में सवार्धिक जाट जाति के लोग हैं
* इस संप्रदाय में 36 नियमों को माना जाता है

संत पीपाजी

* पीपाजी का जन्म झालावाड़  जिले के गागरोन के किले में हुआ
* माता पिता लक्ष्मीपति व कड़ावा खींची
*  वास्तविक नाम प्रताप सिंह खींची था
* इन्होंने गागरोन का राजा रहते हुए दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक को युद्ध में हराया
* गुरु रामानंद
* पीपाजी निर्गुण भक्त थे
* पीपा जी की गुफा टोडारायसिंह टोंक में
* पीपा जी का  मंदिर बाड़मेर जिले के समदड़ी गांव में है
* पीपा जी के मंदिर के पुजारी दर्जी होती है
* पीपाजी दर्जियो के कुलदेवता है
* पीपा जी की छतरी का gagron किले में बनी हुई है
* सन्यास लेने से पूर्व पीपा जी ने अचलदास खींची को अपना उत्तराधिकारी बनाया

धन्ना जी

* धन्ना जी का जन्म टोंक जिले के धुवन गांव में हुआ
* इनकी जाति जाट
* गुरु रामानंद
* धनाजी प्रारंभ में सगुण भक्ति लेकिन रामानंद जी के प्रभाव में आकर निर्गुण भक्त हो गए
* धन्ना जी की स्मृति में धूवन गांव में मोती सरोवर तालाब एवं एक गुरुद्वारा बना हुआ है
* धन्ना जी की पंजाब में जबरदस्त मान्यता है वहां के पद यात्री हर साल धूवन आते है।
* उनके खेत खेती की मिट्टी लेे जाते है ।

करमा बाई



करमा बाई ( karma bai )
करमा बाई ( karma bai )
* कर्मा बाई का जन्म नागौर जिले के कलवा गांव में हुआ
* श्री कृष्ण या जगन्नाथ भगवान की भक्त
* आज भी पूरी उड़ीसा में जगन्नाथ भगवान को खिचडे  भोग लगाया जाता है
* करमा बाई द्वारा श्री कृष्ण भगवान को खिचड़ा खिलाना भारतवर्ष में प्रसिद्ध है


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