राजस्थान की चित्रकला और शैली।। Rajasthan ki chitrakala - shaili

जानिये राजस्थान की चित्रकला और शैली।। Rajasthan ki chitrakala - shaili के बारे में ।

राजस्थान के किशनगढ़ की विश्व प्रसिद्ध चित्रशैली “बणी-ठणी” का नाम आज कौन नहीं जनता ? पर बहुत कम लोग जानते है कि किशनगढ़ की यह चित्रशैली जो रियासत काल में शुरू हुई थी का नाम “बणी-ठणी” क्यों और कैसे पड़ा ? 

आज चर्चा करते है इस विश्व प्रसिद्ध राजस्थान की चित्रकला और शैली।। Rajasthan ki chitrakala - shaili पर- राजस्थान के इतिहास हमारी ये पोस्ट Rajasthan GK की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है जो की BSTC, RAJ. POLICE, PATWARI. REET, SSC GK, SI, HIGH COURT, 2nd grade, 1st grade पटवारी राजस्थान पुलिस और RPSC में पूछा जाता है | 

नोट :- राजस्थानी चित्रकला (Painting of Rajasthan) में पीले व लाल रंग का सर्वाधिक प्रयोग हुआ है।


राजस्थान की चित्रकला और शैली।। Rajasthan ki chitrakala - shaili



राजस्थान की फड़ चित्रकला
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राजस्थान की चित्रकला और शैली।। Rajasthan ki chitrakala - shaili पूरी जानकारी

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राजस्थानी चित्रकला 




राजस्थान की चित्रकला के प्रमुख स्कूल

राजस्थान की चित्रकला के  चार स्कूल है -- 

१. मेवाड़ स्कुल :---

  • यह राजस्थानी चित्रकला का सबसे प्राचीन स्कुल है इसके अन्तर्गत उदयपुर ,नाथद्धारा , चावंड व देवगढ़ शैलिया आती है |

२. हाड़ौती स्कुल :---

  •  इसमें कोटा , बूंदी व झालावाड़ शैलिया आती है |

३. ढूढाड स्कुल :---

  •   इसमें जयपुर , अलवर , शेखावाटी , करौली , उणियारा (टोंक ), आदि शैलिया आती है |

४. मारवाड़ स्कुल :---

  • यह राजस्थानी चित्रकला का सबसे प्रसिध्द स्कुल है | इसके अंतर्गत जोधपुर , जैसलमेर , बीकानेर ,किशनगढ़ ,पाली ,घाणेराव व नागौर शैलिया आती है |



राजस्थान की चित्रकला की प्रमुख शैलिया ।।राजस्थानी चित्रकला शैली

1) राजस्थानी की किशनगढ़ चित्रकला शैली 

  • यह राजस्थानी चित्रकला की सबसे प्रसिध्द शैली है | 
  • इस शैली की प्रमुख विशेषता नारी सौन्दर्य है | 
  • इस शैली का सर्वाधिक विकास सावंतसिंह उर्फ़ नागरीदास के काल में हुआ अतः उनका काल स्वर्णकाल  कहलाता है | 
  • उनके काल में सावंतसिंह को कृष्ण के रूप में तथा उनकी प्रेमिका बणी - ठणी को राधा के रूप में चित्रित किया गया | 
प्रमुख चित्रकार ---
  1. मोरध्वज निहालचंद                                 
  2. सुरध्वज                                  
  3. लाड़लीदास                                  
  4. भँवर लाल                                  
  5. तुलसीदास                                  
  6. अमरचंद                                  
  7. सावंतसिंह

प्रमुख चित्र ---
  1. बणी - ठणी                             
  2. चांदनी रात की संगीत गोष्ठी                             
  3. बिहारी चंद्रिका                             
  4. कमल से भरे सरोवर                             
  5. कृष्ण - राधा के प्रेमभाव चित्र

  • इस शैली का सबसे प्रसिध्द चित्र " बणी - ठणी " है जिसे मोर ध्वज निहालचंद ने बनाया था |
  • 1973 में 20 पैसे का डाक टिकट बणी - ठणी पर जारी किया गया |
  • एरिक डिकिन्सन ने बणी - ठणी को " भारत की मोनालिसा " कहा है |
  • चांदनी रात की संगीत गोष्ठी चित्र अमर चंद ने बनाया था |
  • इस शैली को अत्यधिक लोक प्रिय बनाने का श्रेय एरिक डिकिन्सन व फैय्याज अली को दिया जाता है |
  • प्रमुख रंग --- सफेद व गुलाबी
  • प्रमुख वृक्ष --- केला
  • नारी सौंदर्य के अन्तर्गत लम्बे हाथ , लम्बे बाल , लम्बी अंगुलिया , लम्बी सुराहीदार गर्दन , काजल युक्त नयन , पतली कमर , लम्बी नायिकाएँ , सिर पर मलमल की ओंठनी व हाथ में अर्ध्द मुकुलित कमल लिये हुये नायिका इस शैली की विशेषता है |
kishangd shaili बणी - ठणी
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2) Rajasthani ki जयपुर chitrakala shaili 

  • इस शैली का सवार्धिक विकास सवाई प्रतापसिंह के काल में हुआ अतः उनका काल स्वर्ण काल कहलाया |
  • सवाई रामसिंह --२ के काल में भी यह विकसित हुई |
  • इस शैली की प्रमुख विशेषता आदमकद चित्र व बड़े - बड़े पोटेट है |

प्रमुख चित्रकार ---
  1.  साहिबराम                                 
  2.  सालिगराम                                 
  3.  गंगा बक्श                                 
  4.  मोहम्मद शाह                                 
  5.  लालचंद

प्रमुख चित्र ---
  1. आदमकद चित्र                           
  2. दरबार के दर्शय                           
  3. युध्द के प्रंसग

  • साहिबराम ने महाराजा ईश्वरीसिंह का आदमकद चित्र बनाया था |
  • यह शैली मुगल शैली से सवार्धिक प्रभावित रही है |
  • प्रमुख रंग --- हरा
  • प्रमुख वृक्ष --- पीपल
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत अण्डाकार या गोलाकार चेहरा तथा नारी का कद छोटा विशेषता है |

3) राजस्थानी की कोटा चित्रकला शैली

  • इस शैली का सवार्धिक विकास महाराजा रामसिंह के काल में हुआ |
  • इस शैली में शिकार के चित्र सवार्धिक मिले है अतः इसे शिकार शैली भी कहते है |
  • इसमें महिलाओ एवं रानियों को भी शिकार करते हुये चित्रित किया गया है |

प्रमुख चित्रकार --- 
  1.  गोविन्दराम                               
  2.  लछीराम                               
  3.  नूर मोहम्मद                               
  4.  रघुनाथ

प्रमुख चित्र ---- 
  1. शिकार के चित्र                          
  2. हाथियों की लड़ाई

  • प्रमुख रंग ---- नीला
  • प्रमुख वृक्ष ---- खजूर
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत हष्ट पुष्ट महिलाये व मृग नयन विशेषता है |

4) राजस्थानी की चित्रकला शैली - अलवर शैली

  • इस शैली में बसलो चित्रण ( बॉर्डर पर चित्रण ) किया गया है |
  • इसमें हाथी दांत पर चित्र बनाये गये है |
  • इसमें वेश्याओं पर चित्रण किया गया है |
  • इस शैली का प्रमुख विषय योगासन मुद्रा रहा है |
  • यह मुग़ल शैली से भी प्रभावित रही है |

प्रमुख चित्रकार ---  
  1.  डालचंद                                
  2.  मूलचंद                                 
  3.  नानगराम                                 
  4.  बुध्दाराम                                 
  5.  बलदेव                                 
  6.  गुलाम अली

प्रमुख चित्र ---   
  1. गुलिस्ता                              
  2. चंडीपाठ                              
  3. दुर्गा सप्तशती

  •  प्रमुख रंग ----  हरा
  • प्रमुख वृक्ष ---- पीपल
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत अण्डाकार या गोलाकार चेहरा तथा नारी का कद छोटा  विशेषता है |
  • इस शैली का सवार्धिक विकास महाराजा विनयसिंह के काल में हुआ |

5) Rajasthani ki chitrakala shaili - बूंदी शैली


  • इस शैली का विकास सुरजन हाड़ा के काल में हुआ लेकिन इसका सवार्धिक विकास महाराव उम्मेदसिंह के काल में हुआ अतः उनके काल को इस शैली का स्वर्ण काल खा जाता है |
  • उनके काल में चित्रशाला का निर्माण किया गया जो एक चित्रकला संग्रहालय है |
  • इस शैली में पशु - पक्षियों के चित्र अत्यधिक बने है अतः इसे पशु - पक्षी चित्र शैली भी कहते है |
  • वर्षा में नाचता हुआ मोर इस शैली का प्रमुख विषय रहा है |
  • इस शैली को राजस्थानी विचार धारा की चित्रकला का आरम्भिक केंद्र माना जाता है |

प्रमुख चित्रकार ---   
  1. डालू                                 
  2. रामलाल                                 
  3. अहमद                                 
  4. सुर्जन

प्रमुख चित्र ---  
  1. पशु - पक्षी चित्र                          
  2. नायिका भेद                          
  3. बारहमासा                          
  4. ऋतू वर्णन                          
  5. कबूतर पक्षी                          
  6. घुड़ दौड़

  • प्रमुख रंग --- सुनहरी
  • प्रमुख वृक्ष --- खजूर
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत बाहें लम्बी व आँखे आम्र पत्र के समान विशेषता है |

6) राजस्थानी की चित्रकला शैली - बीकानेर शैली

  •  इस शैली का सवार्धिक विकास महाराजा अनोपसिंह के काल में हुआ |
  • ऊंट की खाल पर चित्रण इस शैली की विशेषता रही है |
  • इस शैली के चित्रकार अपने चित्रों पर नाम व तिथि अंकित किया करते थे अतः वे उस्ताद कहलाये |

प्रमुख चित्रकार --- 
  1.  रुकनुद्दीन                               
  2.  अली राजा                               
  3.  हसन                               
  4.  उस्ता अमीर खां                               
  5.  मुन्ना लाल                               
  6.  मुकुन्द

प्रमुख चित्र --- 
  1.  महफ़िल                         
  2. सामंती वैभव

  • इस शैली का सबसे प्राचीन चित्रित ग्रंथ भागवत पुराण है | जो महाराजा रायसिंह के काल में चित्रित किया गया था |
  • प्रमुख रंग --- पीला
  • प्रमुख वृक्ष --- आम
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत भृकुटि धनुषाकार व पतले होंठ विशेषता है |

7) राजस्थानी की जोधपुर चित्रकला शैली chitrakala rajasthan

chitrakala rajasthan
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  • राव मालदेव के काल में इस शैली का विकास हुआ लेकिन इसका सवार्धिक विकास महाराजा जसवंतसिंह व मानसिंह के काल में हुआ |

प्रमुख चित्रकार ---  
  1. अमरदास                                
  2. बिशनदास                                
  3. नारायणदास                                
  4. शिवदास                                
  5. रतनभाटी                                
  6. रामा                                
  7. नाथा                               
  8. छज्जू                                
  9. सैफू

  • प्रमुख रंग ----  पीला
  • प्रमुख वृक्ष ---- आम
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत लम्बे बाल , लम्बे हाथ , लम्बी अंगुलिया व लम्बी नायिकाएँ विशेषता है |

8) राजस्थानी की चित्रकला शैली - जैसलमेर  शैली

  • इस शैली का सवार्धिक विकास मूलराज - २  के काल में हुआ
  • प्रमुख चित्र --- मूमल
  • प्रमुख रंग --- पीला
  • प्रमुख वृक्ष --- आम

9) Rajasthan ki chitrakala shaili - मेवाड़ शैली

Rajasthan ki chitrakala shaili - मेवाड़ शैली
Rajasthan ki chitrakala shaili - मेवाड़ शैली


  • महाराणा कुम्भा के काल में इस शैली का विकास हुआ |
  • महाराणा अमरसिंह - १ के काल में यह अति विकसित हुई उनके काल के प्रसिध्द चित्रकार नसीरुद्दीन(निशारदी )  थे | जिन्होंने रागमाला चित्र बनाया था |
  • इस शैली का सवार्धिक विकास महाराणा जगतसिंह -१ के काल में हुआ अतः उनके काल को इस शैली का स्वर्णकाल कहा गया | उनके काल के प्रसिध्द चित्रकार साहिबद्दिन व मनोहर थे |
  • इनके काल में एक चित्रकाल स्कुल " चितेरो की ओवरी " का निर्माण किया गया जिसे तस्वीरों रो कारखानों भी कहते है |
  • इस शैली में सवार्धिक विषयो पर चित्र बने है |
  • यह राजस्थान की सबसे प्राचीन शैली भी है |
  • चटक रंग योजना , अलंकारिक प्रकृति व काली मोटी रेखाओ का अंकन इस शैली की विशेषता रही है |
  • इस शैली का सबसे प्राचीन चित्रित ग्रंथ श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि है | जो 1260 ई में महाराणा तेजसिंह के काल में चित्रित किया गया था इसके चित्रकार कमलचंद थे |
  • कलीला - दमना , पंचतंत्र का अरबी फ़ारसी में अनुवाद है जिसे मेवाड़ शैली कथा - पात्र बनाकर चित्रित किया गया है | यह दो सियारो की कथा है | इसे आयरे - दानिश भी कहते है |

* प्रमुख चित्रकार :
  1. नसीरुद्दीन                               
  2. साहिबद्दिन                                
  3. मनोहर                                
  4. गंगाराम                                
  5. कृपाराम                                
  6. भैरोराम                                
  7. शिवदत्त

* प्रमुख चित्र :
  1. पंचतंत्र                              
  2. गीतगोविन्द                              
  3. रागमाला                              
  4. रसिक प्रिया                              
  5. पृथ्वीराज                              
  6. रामायण                              
  7. महाभारत

  • प्रमुख रंग --- लाल
  • प्रमुख वृक्ष --- कदम्ब
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत छोटी ठोड़ी , बादामी आँखे विशेषता है |


10) राजस्थानी की चावंड चित्रकला शैली

  • यह मेवाड़ शैली की उपशैली है
  • महाराणा प्रताप द्वारा चावंड को राजधानी बनाने के साथ शैली का विकास हुआ लेकिन इसका सवार्धिक विकास महाराणा अमरसिंह -१ के काल में हुआ
  • प्रमुख चित्रकार --- नसीरुद्दीन
  • प्रमुख चित्र --- रागमाला
  •  प्रमुख रंग --- लाल
  •  प्रमुख वृक्ष --- कदम्ब

11) Rajasthani ki chitrakala shaili - नाथद्वारा शैली 

Rajasthani ki chitrakala shaili
Rajasthani ki chitrakala shaili


  • यह मेवाड़ व ब्रज शैली के मिश्रण से बनी है |
  • इस शैली का सवार्धिक विकास महाराणा राजसिंह --१ के काल में हुआ
  • इस शैली की प्रमुख विशेषता श्री कृष्ण की लीलाओ का अंकन रहा है |
* प्रमुख चित्रकार --- 
  1. चतुर्भुज
  2. नारायण
  3. घासीराम

* प्रमुख चित्र --- 
  1. गिरिराज पर्वत                       
  2. माखन खाते कृष्ण बाल लीलाये                         
  3. कृष्ण यशोदा का चित्र

  • प्रमुख रंग --- हरा व पीला
  • प्रमुख वृक्ष --- कदम्ब
  • नारी सौंदर्य के अंतर्गत आँखों का अलसायापन व नथ का मोती विशेषता है

राजस्थानी की चित्रकला के महत्वपूर्ण तथ्य

राजस्थान की चित्रकाला में विभिन्न शैलियों में रागमाला चित्रण सूची

रागमाला पेंटिंग भारतीय लघु चित्रकला का एक रूप है

चावण्ड चित्र शैली का रागमाला चित्रण-
  • 1605,नसीरुद्दीन
  • राजा- अमरसिंह-1
उदयपुर चित्रशैली का रागमाला चित्रण-
  • 1628,साहिबद्दीन 
  • राजा-जगतसिंह -1(1628-52)
मारवाड़ चित्रशैली का रागमाला चित्रण-
  • 1623,वीर जी भाटी
  • राजा-गजसिंह
कोटा का रागमाला चित्रण-
  • 1768,डालू
  • राजा-गुमान सिंह

राजस्थान की चित्रकला की विभिन्न शैलियों के प्रमुख कलाकार सूची


  1. किशनगढ़ शैली - निहालचन्द, अमीरचन्द, धन्ना व छोटू
  2. मारवाङ शैली - भाटी देवदास, भाटी शिवदास, भाटी किशनदास
  3. नाथद्वारा शैली - खूबीराम, घासीराम, रेवाशंकर व पुरुषोत्तम
  4. मेवाङ शैली - गंगाराम, भैंरोराम, कृपाराम, साहिबदीन, मनोहर व नासिरुद्दीन
  5. अलवर शैली - गुलाम अली, सालिगराम, नन्दराम, बलदेव, जुमनादास, डालचन्द व छोटे लाल
  6. बूँदी शैली - रामलाल, अहमद अली, श्रीकृष्ण व सुरजन
  7. जयपुर शैली - सालिगराम, लक्ष्मणराम व साहबराम
  8. कोटा शैली - गोविन्द, लक्ष्मीनारायण, लालचन्द व रघुनाथ दास
  9. बीकानेर शैली - मथरेणा परिवार व उस्ता परिवार।

राजस्थान में चित्रकला विकास हेतु कार्यरत संस्थान


  1. कलावृत, आयम, पैग, ललित कला अकादमी, क्रिएटिव आर्टिस्ट्स गुप जयपुर
  2. मयूर निवाई - टोंक
  3. अंकन भीलवाड़ा
  4. चितेरा, धोरा, मान प्रकाश जोधपुर
  5. आज, टमखडा 28,पश्चिमी संस्कृति केंद्र, सरस्वती उदयपुर
  6. अतला, शुभम बीकानेर

चित्रकला से संबंधित प्रमुख शब्दावली


  • जोतदाना -चित्रों का संग्रह या एल्बम।
  • चितेरा - राजस्थान में चित्रकार को चितेरा कहा जाता है।
  • मोरनी माडणा - इस चित्रकला का प्रचलन मीणा जनजाति में है।
  • डमका - चित्रों में प्रयुक्त रंग।

राजस्थानी चित्रकला में विभिन्न शैलियों में भित्तिचित्र या चित्र निर्माण के प्रमुख केंद्र या चित्रशाला


  1. चितेरों की ओवरी / तस्वीरों रो कारखानों-उदयपुर चित्र शैली
  2. मोती महल(कपड़ द्वार )अज़ारों की ओवरी- देवगढ़ चित्र शैली
  3. चोखेलाव महल-जोधपुर चित्र शैली
  4. शीशमहल-अलवर चित्र शैली
  5. सूरतखाना-जयपुर चित्र शैली
  6. मुसव्विर खाना-कोटा चित्र शैली
  7. रंगमहल छत्रसाल चित्रशाला- उम्मेदसिंह - बूंदी चित्र शैली


जरूर पढ़े :---


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